







श्री परमधाम न्यास की स्थापना श्री चन्द्रमोहन जी ने वर्ष 2003 में अपने गुरू श्री आनंदकंद जी महाराज के निर्देश से पवित्र भूमि शुक्रताल, मुजफरनगर (उ.प्र.) में की। इस अभियान का उद्देश्य हिन्दुस्तानियों को जातिरहित व नशा मुक्त करना एवं अध्यात्म के प्रति समाज में जागरूकता फैलानाा...
आगे पढेंआज संसार में सबसे ज्यादा युवा भारत में है लेकिन हमारे देश के युवाओं की संख्या का काफी अधिक हिस्सा नशे में है विदेशी ताकतें हिन्द की उपजाऊ भूमि पर कब्जा करने के लिये हिन्द के युवाओं को नशे और जाति व्यवस्था में डुबो रहीं हैं। हिन्द का युवा केवल नशे व जातिव्यवस्था में फंसकर ही बर्बाद हो सकता है...
आगे पढें1.जातिवाद 2. लिंगवाद 3. क्षेत्रवाद 4. पूजावाद 5. पूँजीवाद।
जब तक जाति व्यवस्था रहेगी तब हम एकजुट नहीं हो सकते और हम हिन्दुस्तान और अपनी संतान की सुरक्षा नहीं कर सकते।
श्री परमधाम समाज को और विशेषकर युवा वर्ग को अध्यात्म के विषय में भी जागरूक कर रहा है। अध्यात्म एक ऐसा विषय है जिसके प्रति जागरूक होना एक तनाव रहित जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है...
आगे पढेंश्री परमधाम के माध्यम से पर्यावरण की सुरक्षा के लिए देशभर में पौधारोपण अभियान भी चलाया जाता है। इस अभियान का लक्ष्य हर वर्ष सवा लाख पेड़ लगाना है...
आगे पढेंश्री परमधाम, शुक्रताल, मुजफ्फरनगर में जातिरहित व नशा मुक्त अभियान के लगभग 14वर्षों तक सफल आयोजन के बाद अब इसे श्री परमधाम न्यास अरिहन्तपुरम, दौराला मेरठ में स्थानांतरित किया गया...
आगे पढेंबाहर के मन्दिर को इस प्रकार समझा जाये जैसे हम भारतवर्ष का नक्शा लें और उसमें हरिद्वार देखकर कहें यह हरिद्वार है। मगर वह तो नक्शा है। उसमें गंगा कहीं नहीं बह रही है। उसी प्रकार हमारे द्वारा बनाया गया बाहरी मन्दिर केवल नक्शा है उस परमात्मा द्वारा बनाये गए सच्चे मन्दिर का।
आगे पढेंइस संसार में केवल सात मन्दिर सम्मान योग्य हैं। इसमें से एक मन्दिर परमात्मा के द्वारा बनाया गया है। बाकी के छः मन्दिर मानव ने बनाए हैं। पुजारी भ्रष्ट हो सकता है लेकिन मन्दिर नहीं इसलिए मन्दिर का हर कीमत पर सम्मान किया जाना चाहिए। सात मन्दिर यह हैं
आगे पढें