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बाहर के मन्दिर को इस प्रकार समझा जाये जैसे हम भारतवर्ष का नक्शा लें और उसमें हरिद्वार देखकर कहें यह हरिद्वार है। मगर वह तो नक्शा है। उसमें गंगा कहीं नहीं बह रही है। उसी प्रकार हमारे द्वारा बनाया गया बाहरी मन्दिर केवल नक्शा है उस परमात्मा द्वारा बनाये गए सच्चे मन्दिर का।
आगे पढेंइस संसार में केवल सात मन्दिर सम्मान योग्य हैं। इसमें से एक मन्दिर परमात्मा के द्वारा बनाया गया है। बाकी के छः मन्दिर मानव ने बनाए हैं। पुजारी भ्रष्ट हो सकता है लेकिन मन्दिर नहीं इसलिए मन्दिर का हर कीमत पर सम्मान किया जाना चाहिए। सात मन्दिर यह हैं
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