क्रांतिकारियों का भव्य स्मारक

श्री परमधाम में संसार के सबसे ऊंचे भारतीय तिरंगे, संसार के सबसे बडे़े भारतीय मानचित्र एंव क्रांतिकारियों का भव्य स्मारक का निर्माण:-
राष्ट्रध्वज की स्थापना क्रांतिकारियों की स्मृतियों के बिना अधूरी है। राष्ट्रध्वज का तभी सम्मान है जब हम राष्ट्रध्वज के साथ क्रांतिकारियों को भी याद रखें। किसी भी राष्ट्र का राष्ट्रध्वज उस राष्ट्र के क्रांतिकारियों की पगड़ी होता है। इसीलिये राष्ट्रध्वज की स्थापना के साथ, राष्ट्रध्वज के आस-पास क्रांतिकारियों के स्मारकों और उनकी यातनाओं का भी उल्लेख होना चाहिये। ऐसे क्रांतिकारियों के स्मारकों की स्थापना ज्यादा होना चाहिये जो इससमय गुमनामी में हैं, जैसे शहीद शिरोमणि अल्लूरी सीताराम राजू, सूर्यसेन, बिरसा मुण्डा इत्यादि। क्रांतिकारी ही हम हिन्दुस्तानियों के वास्तविक माता-पिता हैं। हमारे लियेजितने कष्ट व यातनायें उन्होंने सही, उतनी हमारें संसारिक माता-पिता भी नहीं सह सकते। परमात्मा भी हमारी पूजा तभी स्वीकार करेगा, जब हम क्रांतिकारियों की यातनाओं के दर्द को दिल से एहसास करते हुये उनके सपने और सम्मान के प्रति जागरूक होंगे।

अतः श्री चन्द्रमोहन जी की प्रेरणा और श्री परमधाम के सहयोगियों द्वारा श्री परमधाम, मेरठ की पवित्र भूमि में क्रांतिकारियो के सम्मान और उनकी याद में समर्पित संसार का सबसे ऊंचा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा), संसार का सबसे बड़ा भारत का नक्शा और क्रांतिकारियों के स्मारक बनाया गया है। जिसमें क्रांतिकारियों की यातनाओं और उनके बलिदान को दर्शाती मनमोहक झांकियों का चित्रण एवं संसार के सबसे बड़े भारतीय मानचित्र में भारतीय संस्कृति को दर्शाती झांकियां का चित्रण किया गया है।